Books by Ramesh Kumar Sharma

Explore inspiring works on spirituality, unity, and national service by Mr. Ramesh Kumar Sharma, dedicated to fostering peace and harmony through literature.

'जीवन सूक्ति कोश' उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पुस्तकालयों हेतु चयनित है।

मानव जीवन विविधताओं का अनोखा संगम है। चुनौतियां, समस्यायें, खुशियाँ आदि इसके अभिन्न अंग रहे हैं। सूक्तियाँ, सवचन एवं नीतिपरक वाक्य हमारी सांस्कृतिक विरासत के महत्वपूर्ण हिस्से रहे हैं। प्राचीन काल से लेकर अब तक अविरत हमारे महापुरूषों एवं मनीषियों ने विभिन्न धर्मग्रन्थों, पुराणों एवं महाकाव्यों में इन प्रेरणापरक सूक्तियों का प्रयोग किया है । परन्तु सूक्तियाँ इतने अधिक ग्रन्थों एवं पुस्तकों में फैली हुयी हैं कि उनको ढूँढ़ पाना एक दुरूह कार्य है।

ये प्रस्तुत पुस्तक में मानव जीवन का शायद ही कोई ऐसा पक्ष हो जिससे सम्बन्धित सूक्तियाँ इस पुस्तक में न हो । सुख-दुःख, हर्ष-विषाद, जीवन - मरण या फिर इसी प्रकार का कोई अन्य पहलू क्यों न हो, प्रत्येक से सम्बन्धित सूक्तियाँ इस पुस्तक में वर्णमाला के क्रमानुसार दी गयी हैं। इतनी वृहद संख्या में जीवन के प्रायः सभी अंगों को स्पर्श करने वाले सूक्तियों का संग्रह करना अथक परिश्रम एवं जीवटता का कार्य है।

'मुहावरा कोश' हिमाचल प्रदेश व | राजस्थान सरकार द्वारा पुस्तकालयों हेतु चयनित है।

भाषा किसी भी राष्ट्र की प्राणवायु है। बिना राष्ट्रभाषा के कोई भी देश प्रगति के बहुमुखी आयामों को नहीं प्राप्त कर सकता है। इस दृष्टिकोण से हिन्दी भाषा में मुहावरों का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है, मुहावरे भाषा को रोचक एवं ओजपूर्ण बनाते हैं।

प्रस्तुत पुस्तक में हिन्दी भाषा के लगभग 7000 मुहावरों को आकारादि क्रम में रखा गया है। साथ ही एक मुहावरा, एक अर्थ, एक प्रयोग के सिद्धान्त का पालन किया गया है। जिससे पाठकों एवं विद्यार्थियों को अनावश्यक भ्रम का सामना न करनापड़े। इस पुस्तक की यही विशेषता इसे | औरों से अलग व महत्वपूर्ण बनाती है।

'केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय मानव संसाधन विकास मंत्रालय' उच्चतर शिक्षा विभाग, भारत सरकार द्वारा पुस्तकालयों हेतु चयनित तथा मौलाना आजाद लाइब्रेरी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अलीगढ़ एवं विधान पुस्तकालय, विधान सभा सचिवालय उत्तर प्रदेश में उपलब्ध ।

आज के इस भौतिकवादी परिवेश में जहाँ मनुष्य - मनुष्य के बीच में संघर्ष है। जाति, भाषा, धर्म, सम्प्रदाय,प्रान्त एवं विभिन्न आधारों पर व्यक्ति एवं समाज का विघटन हो रहा है। ऐसी परिस्थिति में हम सभी को एक दूसरे की भाषा, मजहब एवं धर्मग्रन्थों का अध्यन करना चाहिए। इससे जहाँ एक ओर भ्रम, भय, संशय, अनिश्चय, पूर्वाग्रह एवं दुर्भावना का कोहरा छँटेगा, वहीं दूसरी ओर प्यार, करुणा, दया, ज्ञान, भाई-चारा एवं सर्व-धर्म समभाव का भाव जागृत होगा। प्रस्तुत पुस्तक का उद्देश्य इसी दुर्भावना को दूर करने एवं मोहब्बत को बढ़ाने के भाव से लिखा गया है।

इस कृति का विमोचन भारत के 22 वें मुख्य न्यायाधीश परम् आदरणीय श्री के० एन० सिंह जी, निवृत्तमान, मुख्य न्यायाधीश उच्चतम् न्यायालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के द्वारा किया गया है।

प्रस्तुत पुस्तक में हिन्दी भाषा के साथ-साथ संस्कृत, उर्दू, फारसी, अंग्रेजी आदि भाषाओं के लगभग 5000 से अधिक पर्यायवाची शब्दों को आकारादि क्रम में रखा गया है तथा एक पर्यायवाची के अधिकतम 5 पर्यायवाची शब्द दिये गये हैं। निरन्तर सुधार एवं परिमार्जन के सिद्धांत पर चलते हुए पाठकों एवं विद्यार्थियों को अनावश्यक भ्रम का सामना न करना पड़े, को ध्यान में रखकर पुस्तक में यथासम्भव सटीक पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग करने का प्रयत्न किया गया है। वास्तव में शुद्ध साहित्य वही है जो सब का कल्याण करे । तुलसीदास जी ने भी कहा है-

कीरति भनिति भूति भली सोई । सुरसरि सम सब कहँ हित होई ।।

हिन्दी भाषा के प्रचार- प्रसार, विकास एवं उन्नयन से ही देश की उन्नती संभव है। यही संदेश तो आधुनिक हिन्दी के उन्नयाक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने दिया है-

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति कौ मूल ।

इस ग्रन्थ को पाठकों के बीच लाने से पहले देश-विदेश के 70 मनीषियों की सम्मतियां ली गयी हैं, ताकि यह पुस्तक यथा सम्भव प्रमाणिक बन सके।

70 मनीषियों में से कुछ प्रमुख हैं- भारत के 22वें आदरणीय मुख्य न्यायाधीश, राज्यपाल - पश्चिम बंगाल, पूर्व राज्यपाल - मध्य प्रदेश, न्यायाधीश उच्च न्यायालय इलाहाबाद, पूर्व कुलपति, का0 कुलपति, प्रतिकुलपति, जर्नलिस्ट विदेश मामलों, पूर्व आई0 ए० एस० आई० पी० एस० प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष, पुस्तकालयाध्यक्ष एवं विभिन्न धर्म गुरु इत्यादि हैं। यह ग्रंथ लेखक श्री शर्मा के 10 वर्षों के अथक परिश्रम का फल है।

भारत ऋषि-मुनियों और सूफी संतों की भूमि है। आपसी सौहार्द इसका गहना है। सूफी-संतों ने अपनी आध्यात्मिक शिक्षाओं द्वारा मानव समाज का जो उद्धार किया है उसका उदाहरण पूरा विश्व नहीं दे सकता । अनेकता में एकता एकता और सामाजिक सौहार्द के लिए भारत देश पूरी दुनिया में सराहनीय और आश्चर्यचकित नज़रों से देखा जाता है। अलग-अलग धर्म और अलग-अलग रीति-रिवाज के बावजूद आपस में प्रेम भाव से लोग रहते हैं, यह सब सूफी संतों की देन है । कालान्तर में भारतीय एकता को स्थायित्व प्रदान करने हेतु इन सबकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

प्रस्तुत पुस्तक राष्ट्र की मानवीय संवेदनाओं-सेवाओं एवं भावनात्मक अमृत कलश एकता सुदृण करने में की तरह सर्व धर्म धर्म सम्भाव विश्वमानवजाति की एकता, अखण्डता एवं साम्प्रदायिक सौहार्द को कायम रखने में अद्वितीय भूमिका निभा रही है । जो पाठक में उदात्त भावों का सृजन करने में सहायक सिद्ध हो रही है।

इस पांचवीं पुस्तक का विमोचन स्थल- उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र (NCZCC), प्रयागराज, उ0 प्र0

'शीघ्र प्रकाशित होने वाली पुस्तक'

शिरोमणि संत रविदास जी के उपदेशों को जन-जन तक पहुंचानें और उनके महान विचारों को समाज में विस्तारित करने के उद्देश्य से उनके जीवन पर लिखी जा रही यह पुस्तक महत्वपूर्ण योगदान निभायेगी। इस पुस्तक में श्री रमेश कुमार शर्मा जी ने न केवल संत रविदास जी के जीवन और उनकी शिक्षाओं को संजोने का कार्य कर रहे हैं, बल्कि उन्हें आम जन-मानस के बीच उनके उपदेशों को बड़े सरल और सुलभ भाषा प्रस्तुत करने का प्रयत्न कर रहे हैं। ताकि खास व आम लोगों के साथ-साथ विशेष रूप से गरीब और समाज के वंचित वर्ग के लोग भी शिरोमणि संत के विचारों को आसानी से समझ सकें और उनसे प्रेरणा प्राप्त कर सकें।

लेखक श्री शर्मा जी का यह कार्य न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा, बल्कि सामाजिक सुधार और जागरूकता के क्षेत्र में भी एक बड़ा | योगदान होगा। यह पुस्तक समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी और लोगों को शिरोमणी संत रविदास जी के बताये मार्ग पर चलने को प्रेरित करेगी ।